म्युचुअल फंड क्या होता है, इसमें कैसे निवेश करें?  Mumutual fund kya hota hai, isme kese invest kare?
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निवेश (investment) करने की सोच रहे हैं। पता नहीं यह रुपए कहां लगाएं? कितना इन्वेस्ट करें? और कितना सेफ होगा ? तो म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट (mutual fund investment) आपके लिए यह ऑप्शन हो सकता है। जिसमें कई इन्वेस्टर होते हैं। वह चाहे मैं हूं, आप हो या कोई और भी। फंड मैनेजर आपके इस रुपए को इन्वेस्ट करने का काम करते हैं। यह रकम लगाई जा सकती है या तो शेयर बाजार में,  बोंड में, गोल्ड में या दूसरी सिक्योरिटी में आप अपना रुपया लगा सकते हैं। 

इन फंड मैनेजर की शेयर बाजार, देश की अर्थव्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय बाजार पर गहरी पकड़ होती है। इन फंड मैनेजर का मकसद निवेश की गई रकम को कम से कम रिस्क में अच्छे रिटर्न का मुनाफा देना होता है। 

म्युचुअल फंड दो तरह के होते हैं-
1. ओपन एंड (Open End)  2. क्लोज एंड (Close End) 

Open End:- ओपन एंड का मतलब है कि आप कभी भी पैसा निवेश कर सकते हैं और कभी भी निकाल सकते हैं। वहीं

Close End:- क्लोज एंड वह फंड होता है जिसमें निवेश के लिए एक समय सीमा है। इसमें निश्चित अवधि या मैच्योरिटी के बाद ही निकाल सकते हैं। इन म्युचुअल फंड को अलग-अलग कैटेगरी में डाला जा सकता है। 

जैसे -
Small Cap :- स्मॉल कैप में फंड मैनेजर आपकी रकम को उन कंपनियों में लगाएगी जो छोटी होती है लेकिन इन कंपनियों के बढ़ाने की संभावना ज्यादा होती है

Mid cap :- मिड कैप में आपका पैसा मिड लेवल की कंपनियों मे लगाया जाता है जिसमें मिड लेवल पर ही रिस्क और रिटर्न आता है। 

Large cap :-  ऐसी बड़ी कंपनियां जिसमें रिक्स, रिस्क का लेवल और रिटर्न दोनों ही Low रहता है  सेक्टोरोल फंड में किसी एक खास सेक्टर से जुड़ी कंपनियों में आपकी रकम लगाई जाती है। 

उदाहरण के तौर पर वह फार्मा से जुड़ी कंपनियां भी हो सकती है या आईटी (I.T.) सेक्टर से जुड़ी कंपनियां भी हो सकती हैं। 

वैसे ही आप अपना पैसा S. I. P.  या Lumpsum में लगा सकते हैं। 

SIP होता है SYSTEMATIC INVESTMENT PLAN  जिसमें आप हर महीने एक रकम निवेश करते हैं । और Lumpsum का मतलब है कि एक बार में ही रकम निवेश कर देना। 

इस निवेश के बदले आपको मिलती है इवेंट यानी नेट एसिड वैल्यू। 

म्युचुअल फंड के लिए आगे का प्रोसेस क्या होगा, इन्वेस्टमेंट के लिए क्या करना होगा? 

इसके लिए आपको फंड मैनेजर एक फॉर्म देंगे और आपको देने होंगे कुछ डॉक्यूमेंट जैसे आपको ID के तौर पर पैन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर आईडी में से किसी एक की जरूरत होगी। बैंक अकाउंट और केवाईसी (Know Your Custumer) पूरा होना चाहिए। 


म्युचुअल फंड में रिस्क क्यों काम माना जाता है? 

एक मुश्त रकम, एक कंपनी के बजाय कई कंपनियों में इन्वेस्ट होती है। अगर एक कंपनी घाटे (Loss) में चली भी गई  तो बाकी की कंपनियां तो बची रहेंगी। 
इसलिए रिस्क काफी कम है। फंड मैनेजर आपके इन्वेस्टमेंट का ध्यान रखेगा। यह लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट होती है। कम पैसे (100₹ - 500₹ तक) में शुरुआत कर सकते हैं। 

म्युचुअल फंड का चुनाव कैसे करें? 

निवेश के लिए आपके पास 10 से 20 साल का समय है तो लार्ज कैप (Large Cap) मे निवेश कर सकते हैं। टैक्स बचाने के लिए निवेश कर रहे हैं तो इक्वलिटी सेविंग या ए लस में फंड लेना पड़ेगा। आपका पैसा 3 साल के लिए लॉक हो जाएगा लस बोल बड़े और मिड फंड माने जाते हैं।